टोकनी के खजाने में छिपी,महुआ, चार, तेंदू और खट्टी मीठी इमली ,पहाड़ों पर कुदरत है मेहरबां,महकते फल-फूलों की हैं छतरियां ,नक्सल प्रभावित दूरस्थ ग्राम हलोरा में लघुवनोपज संग्रहित कर रहे महिला, बुजुर्ग एवं बच्चे, आयी घर में समृद्धि,लॉकडाउन अवधि में समर्थन मूल्य में खरीदी से लघु वनोपज से संग्राहकों को मिली 6 लाख 25 हजार 864 रूपए की राशि
राजनांदगांव 22 अप्रैल 2020 । भोर
होते ही हाथ में टोकनी लिए अलग-अलग डगर से होते हुए दूर सघन पहाडिय़ों की
ओर लघुवनोपज संग्रहण के लिए निकल पड़ते हैं महिलाएं, बच्चे, युवा और
बुजुर्ग। यह खुशनुमा मंजर है राजनांदगाँव जिले के नक्सल प्रभावित विकासखंड
मानपुर के ग्राम हलोरा का जहाँ सघन वनों के बीच महुए, टपक रहे हैं और इससे
जमीन बिछ गई है। मेहनतकश लोगों की टोकरी के खजाने मेंमहुआ, चार, चरोटा,
तेन्दू, आवला, हर्रा, बहेड़ा, शहद, धवईफूल, रंगीनी लाख, कुसुमी लाख, बेल
गुदा, जामुन बीज, इमली, आम से भरे हुए हैं। महकते फल-फूलों की छतरियों से
वन गुलजार हैं। घने पहाड़ों पर धूप गिलहरी की तरह आंख मिचौली खेल रही है।
कोरोना वायरस कोविड-19 की विभीषिका से बचाव के लिए जिले में लॉकडाउन है।
ऐसे में सुरक्षा उपायों एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ग्रामवासी
लघुवनोपज संग्रह कर रहे हैं।
लॉकडाउन की अवधि के दौरान राजनांदगांव जिले में चरोटा बीज,
हर्रा, महुआ फूल, बहेड़ा, इमली (बीज रहित), इमली बीज, कालमेघ, बेल गुदा,
पलास फूल, भिलवा, करंज बीज के 358.29 क्विंटल लघुवनोपज की शासन के द्वारा
निर्धारित समर्थन मूल्य पर खरीदी कर समितियों द्वारा 6 लाख 25 हजार 864
रूपए का भुगतान लघुवनोपज संंग्राहकों को किया जा चुका है। वन विभाग की ओर
से जनमानस में लघु वनोपज संग्रह के लिए जागृति लाई जा रही है।
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