✍ जितेंद्र सुकुमार ' साहिर '
ग़ज़ल
हर एक जगह एक सा मंजर नहीं होता
बाहर है जो अक्सर यहां अंदर नहीं होता
क़ातिल कई ऐसे भी तो होते हैं जहां में
हाथों में वो जिनके कोई खंजर नहीं होता
मजबूत अगर होते कहीं रिश्ते दिलों के
तो आज मकां मेरा यूं खंडहर नहीं होता
क़ीमत जो समझता यदि शबनम की जरा भी
तो प्यासा कभी कोई समंदर नहीं होता
जो हार के भी जीते हैं देखे हैं सिकंदर
बस जीतने वाला ही सिकंदर नहीं होता
✍ जितेंद्र सुकुमार ' साहिर '
शायर
' उदय आशियाना ' चौबेबांधा(राजिम) पोस्ट बरोण्डा जिला -गरियाबंद (छत्तीसगढ़) 493885
दूरभाष नंबर 9009187981
9827345298
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें